सांसद प्रत्याशी राजा की जीत में रोड़ा बन सकते हैं कोठी में बैठे जिम्मेदार विभीषण
मीडिया कर्मियों के साथ हो रहा सौतेला व्यवहार
गोण्डा।बढ़ती चुनावी सर गर्मियों में कहीं ऐसा तो नही की जीत की हैट्रिक लगाने में "घर का भेदी लंका ढाए" की तर्ज पर मनकापुर कोट में बैठे ही कुछ विभीषण राजा के चहेते वोटरों में सेंध लगाने में इसलिए सफल हो रहे हों कि जीत की हैट्रिक लगते लगते रुक जाय। विगत कई दशकों से राजनीति के धुरंधर यूपी टाइगर के नाम से चिर परिचित मनकापुर राजघराने के भूतपूर्व सांसद आनंद सिंह की नीति और राजनैतिक समीकरण को पूरे देश के नेता दाद देते थे। और भारत के ऐसे कई धुरंधर आनंद सिंह को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। लेकिन आज इस आधुनिक परिवेश में जहां राजनीति के गुर बदल चुके हैं और अवस्था ढलने के साथ राजा आनंद कुंवर सिंह ने राजनीतिक विरासत अपने पुत्र कीर्ति वर्धन सिंह के कंधे पर देते हुए दिल्ली की राह दिखा दी थी। लेकिन 2024 के इस लोकसभा चुनाव में मौजूदा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह राजा भैया को शासन सत्ता सहित मौजूदा सांसद होने के बावजूद भी अपने ही आंगन में बाहर से समाजवादी पार्टी से घोषित प्रत्याशी श्रेया वर्मा से जबरदस्त टक्कर मिल रही है। लोगों का मानना है कि इसका श्रेय मनकापुर कोट में विभीषण की भूमिका निभा रहे कुछ ऐसे चेहरे हैं, जो घुसपैठ करके बैठ गए हैं। और लोकसभा चुनाव 2024 में सांसद पर किस्मत आजमा रहे भारतीय जनता पार्टी से सांसद पद प्रत्याशी कीर्ति वर्धन सिंह की जीत की हैट्रिक पर रोड़ा बनते नज़र आ रहे हैं।
राजनैतिक सूत्रों का मानना है कि चुनावी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं और जीत की होड़ लगी हो इसके साथ-साथ सब अपने निकटतम तंत्र के भरोसे राजनीति का तिलिस्म साधने में जुटे हो लेकिन गोण्डा में वह भी विशेष कर संसद का आंगन कहे जाने वाला मनकापुर विधानसभा में अगर स्वच्छ नीयत से देखा जाए तो गुल और ही कुछ खिलते नजर आ रहे हैं। जब कि मौजूदा समय में गोण्डा लोकसभा के पांचों विधानसभा गोण्डा सदर, मेहनौन,मनकापुर, गौरा तथा कटरा बाजार में विधायक सत्ता पक्ष के भारतीय जनता पार्टी के ही हैं, बावजूद भी पूर्व कैबिनेट मंत्री कांग्रेस सांसद बेनी प्रसाद वर्मा की पोती बाराबंकी से पहुंचकर गोण्डा में मौजूदा सत्ता पक्ष के सांसद को कड़ी टक्कर दे रही हैं। जिसमें कहीं न कहीं राजा के आंगन में बैठे भीतर घातियों की अहम भूमिका होने की बू आ रही है। जिससे गैर जनपद में बैठे लोगों को गोण्डा में आकर भाग्य आजमाइश करना मुफीद लगता है।और इन्हीं विभीषण की वजह से ही पिछले दशकों में भी राजा को चुनाव में शिकस्त मिली थी। बहरहाल यह कोई अनोखी बात नही मानी जाएगी जब त्रेता में रावण जैसे प्रतापी राजा की लंका विभीषण की वजह से ध्वस्त हो सकती है तो कलयुग में किसकी क्या बात कही जाए। कुछ भी हो सकता है लेकिन ताजुब तो तब होता है,जब मनकापुर कोट में बैठे इन विभीषणों पर सांसद की दृष्टि नहीं पड़ रही है। अपनी चापलूसी की बदौलत चार कदम आगे बढ़ाते हुए राजघराने में अपनी पैठ बनाकर समाज में फर्राटे भर कर रौब गालिब करते रहते हैं। ऐसे विभीषणों को सरकार किसी की हो सांसद कोई भी हो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। हां यहां बताना आवश्यक है कि इनकी वजह से किले में सेंध अवश्य लग सकती है। यदि समय रहते सांसद की दृष्टि इन विभीषण की करतूत तक नहीं पहुंची तो हो सकता है कि दिल्ली दूर हो जाए। मीडिया गलियारों में चर्चा जोरों से चल रही है कि मुख्यमंत्री के आने पर कई मीडिया कर्मियों को जयमहल बुलाकर स्वागत किया गया व गृहमंत्री के आने पर भी कोट बुलाकरकई मीडियाकर्मियों का स्वागत किया गया जिससे आक्रोशित मीडिया कर्मियों का कहना है कि जब हम लोगों के साथ अभी से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है तो चुनाव जीतने के बाद जनता के साथ कैसा व्यवहार अपनाया जाएगा। क्षेत्र की जनता जागरूक हो चुकी है वह किसी भी बहकावे व जुमले में आने के बजाय अपने वोटों से ही अपना सांसद चुनेगी।
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